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Prayagraj
Shri Varah Varahi Temple
Thu 27th November 2025
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भगवान विष्णु के तीसरे महावतार भगवान वाराह हैं और माता वाराही इनकी महाऊर्जा। क्योंकि दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को रसातल में छिपा दिया था तब भगवान विष्णु ने वाराह अवतार लेकर पृथ्वी को बचाया। यह पृथ्वी या भूमि माता वाराही का ही स्वरूप थी और इन्ही की ऊर्जा से भगवान वाराह की ऊर्जा दोगुनी हो गई और भगवान वाराह ने हिरण्याक्ष का नाश कर मानव जाति को बचाया। माता वाराही को सप्त मातृका में स्थान मिला है। मां वाराही को मां त्रिपुरासुंदरी की सेनापति और लक्ष्मी का स्वरूप भी माना गया है। भारत में माता वाराही के बहुत ही कम प्रसिद्ध मंदिर है। उनमें से प्रयागराज में संगम घाट के पास कुछ ही दूरी पर स्थित वाराह वाराही मंदिर अत्यंत ही सिद्ध और प्राचीन मंदिर माना गया है। इसे सिद्धपीठ तीर्थ भी कहते हैं। यहां पूजा में भाग लेना अत्यंत ही शुभ फलदाई माना गया है। कहा जाता है इस स्थान पर धरती माता ने अपने आपको हिरण्याक्ष के चंगुल से छुड़ाने के लिए भगवान विष्णु की प्रार्थना की थी। जो भी भक्त सच्चे हृदय से यहां वाराह वाराही की पूजा में भाग लेता है भगवान उन्हें भूमि भवन संपत्ति प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।
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