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West Bengal
Tarapith Siddha Peeth
Sun 21st September 2025
02
Days
14
Hrs
10
Min
23
Sec
अपनी विशेष तांत्रिक पहचान रखने वाला तारापीठ पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित है। तारापीठ को तांत्रिक पीठ भी कहा जाता है। मां का तारा स्वरूप भक्तों की समस्त मनोकामनाओं को यहां पूरा कर रहा है। मां तारा दस महाविद्याओं में दूसरे स्थान पर आती है। यह काली कूल की हैं और सभी प्रकार के ऐश्वर्य, सुख भक्तों को तुरंत प्रदान कर देती है। तारापीठ राजा दशरथ के कुलपुरोहित वशिष्ठ मुनि का सिद्धासन भी है। कहते हैं सबसे पहले मुनि वशिष्ठ ने ही मां तारा की पूजा की थी। यह बात सिद्ध है कि तारापीठ में मां तारा की पूजा से सभी प्रकार के विशेष फलों की प्राप्ति होती है। कामाख्या और दक्षिणेश्वर काली की तरह तारापीठ भी विशेष चमत्कारी है। बौद्ध धर्म में मां तारा की अनेक दिव्य नामों से पूजा होती है। यहीं पर महापुरुष वामाखेपा को श्मशान में मां तारा ने अपने दिव्य दर्शन दिए थे। यह श्मशान आज भी मां की आराधना करने वालों के लिए सिद्ध स्थान माना जाता है। यह स्थान मंदिर के ठीक सामने है। वामाखेपा के अनुसार, माँ तारा बाघ की खाल पहने हुए, एक हाथ में तलवार, एक हाथ में कंकाल की खोपड़ी, एक हाथ में कमल फूल और एक हाथ में अस्त्र लिए हुए प्रकट हुईं। उन्होंने पैरों में पायल पहन रखी थी और उनके केश खुले हुए थे। माता ने जीभ बाहर निकाल रखी थी और वातावरण रोशनी और सुंगध से भर गया था।
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