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Badrinath Dham
Mana Vllage, Origin of Saraswati River
Mon 26th May 2025
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सरस्वती पुष्कर कुंभ एक विशेष आयोजन है जो हर 12 साल में एक बार होता है। जब बृहस्पति (गुरु) मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तब इस पवित्र पुष्कर मेले या कुंभ का आयोजन होता है। यह दिव्य पर्व आपके कर्म ऋणों से मुक्ति पाने और अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक बेहतर अवसर है। हिमालय की गोद में स्थित, माणा गांव तिब्बती सीमा से पहले भारत का अंतिम बसा हुआ गाँव है, जो बद्रीनाथ धाम से ठीक आगे स्थित है। इसे "भारत का पहला गांव" भी माना जाता है। यह बहुत सी पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक विरासत से भरा हुआ है। यह उन दुर्लभ स्थानों में से एक है, जहां पवित्र सरस्वती नदी भूमिगत होने से पहले सतह पर दिखाई देती है। यहां की प्रार्थनाएं अत्यंत शुभ मानी जाती हैं। केशव प्रयाग में, दृश्यमान सरस्वती नदी शक्तिशाली अलकनंदा में विलीन हो जाती है। आध्यात्मिक रूप से दोनों नदियों का यह पवित्र संगम जीवन भर के पापों को धोने के लिए जाना जाता है। यहां की प्राचीन गुफाओं के बारे में शास्त्रों में भी वर्णन किया गया है। यहां व्यास गुफा में ऋषि व्यास ने महाभारत को निर्देशित था और गणेश गुफा में भगवान गणेश जी ने इसे लिखा था। माना जाता है, इसके कारण यह क्षेत्र दिव्य ज्ञान से भर गया। पौराणिक कथाओं में ऐसा भी कहा गया है कि पांडवों ने स्वर्ग की अपनी अंतिम चढ़ाई माणा से शुरू की थी। तब से इसे यह मुक्ति का मार्ग बन गया। इन सभी कारणों से माना जाता है कि इस गांव की भूमि पर किया गया पितृ के निम्मित अर्पण अत्यंत ही फलदाई होता है।
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