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Mon 27th October 2025
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श्रीकालाहस्ती मंदिर आंध्रप्रदेश में तिरुपति के समीप स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। दक्षिण भारत में भगवान शिव के तीर्थस्थानों में इस मंदिर का विशेष महत्व है। लगभग दो हजार वर्षों से इस स्थान को दक्षिण कैलाश या दक्षिण काशी के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के पार्श्व में तिरुमलय की पहाड़ी दिखाई देती हैं और मंदिर का शिखर विमान दक्षिण भारतीय शैली का सफ़ेद रंग में बना है। इस मंदिर में भगवान कालहस्तीश्वर के संग देवी ज्ञानप्रसूनअंबा भी स्थापित हैं।मान्यता अनुसार इस स्थान का नाम तीन पशुओं - श्री यानी मकड़ी, काल यानी सर्प तथा हस्ती यानी हाथी के नाम पर पड़ा। ये तीनों ही यहां भगवान शिव की आराधना करके मुक्त हुए थे। कहते हैं मकड़ी ने शिवलिंग पर तपस्या करते हुए जाल बनाया था, सांप ने लिंग से लिपटकर आराधना की और हाथी ने शिवलिंग को जल से स्नान करवाया था। यहाँ पर इन तीनों पशुओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। श्रीकालाहस्ती का उल्लेख स्कंद पुराण, शिव पुराण और लिंग पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। यह मंदिर भगवान शिव के साथ राहु केतु के शांति के लिए की गई पूजा के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। हर वर्ष हजारों भक्त इस मंदिर में पूजा में भाग लेते हैं।
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