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PRAYAGRAJ
NAGESHWAR NATH TEMPLE
Mon 17th February 2025
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प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है। क्योंकि यह एक प्राचीन नगरी है जहां संसार की तीन सबसे पवित्र नदियों का संगम है। जिसे त्रिवेणी संगम कहते हैं। त्रिवेणी का अर्थ है, वह स्थान जहां तीन नदियां आकर मिलती हों। त्रिवेणी संगम नदी में भारत की तीन पवित्र नदियां गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन होता है। साथ ही प्रयागराज में समुद्र मंथन के समय अमृत की एक बूंद भी गिरी थी, इसलिए यह एक महाकुंभ क्षेत्र भी है। प्रयागराज में एक अनोखा मंदिर भी है जिसे नागेश्वर नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। समुद्र मंथन के समय नागों के राजा नागवासुकी सागर को मथने के लिए रस्सी के रूप में प्रयुक्त हुए थे। समुद्र मंथन के बाद भगवान विष्णु के कहने पर नागवासुकि ने प्रयागराज के इस मंदिर में विश्राम किया था। इसलिए इस मंदिर में काल सर्प और महादेव को भेंट अर्पण का विशेष महत्व बताया गया है। यहां की यह भी मान्यता है कि कि अगर आप अगरबत्ती जलाकर 15 मिनट तक भगवान शिव का ध्यान कर लें, तो इस मंदिर की शक्तियों को एहसास किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि नागों के राजा नागवासुकी ने अपनी सभी इच्छाई पूरी करने के लिए इस मंदिर में शिव की आराधना कर उन्हें प्रसन्न किया था। इस मंदिर में की गई भेंट सेवा या चढ़ावा अत्यंत ही शुभ फलदाई मानी जाती है। यहां भेंट सेवा या चढ़ावा में भाग लेने से भगवान शिव और नागवासुकी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन कैसा कष्ट दूर होते हैं।
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