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MAA PRATYANGIRA DEVI TEMPLE, UJJAIN
Sun 21st September 2025
06
Days
17
Hrs
36
Min
31
Sec
शास्त्रों के अनुसार हिरण्यकश्यप का वध करने के पश्चात भगवान नरसिंह ने अपना क्रोध शांत करने के लिए उज्जैन में शिप्रा नदी में स्नान किया। स्नान के बाद भी उनके क्रोध शांत ना होने और अनियंत्रित होने पर भगवान शिव ने शरभ का रूप धारण कर नरसिंह को रोकने की कोशिश की। लेकिन दोनों ही लंबे समय तक बिना किसी परिणाम के साथ लड़ते रहे। तब सभी देवताओं के आग्रह पर मां दुर्गा ने देवी प्रत्यंगिरा का रूप धारण किया और अपने तीव्र स्वरूप और प्रचण्ड हुंकार से दोनों को स्तब्ध कर दिया। जिससे उन दोनों के बीच का भीषण युद्ध समाप्त हो गया और सृष्टि से प्रलय का संकट टल गया। माना जाता है, तभी से मां प्रत्यंगिरा उज्जैन में हमेशा के लिए विराजमान हो गई और आज तक अपने भक्तों की रक्षा के लिए दुष्टों और शत्रुओं का नाश करती आई हैं।
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