Fri 14th March 2025
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श्री राधा दामोदर मंदिर, वृंदावन और देवधाम - वृंदावन के कण कण में भगवान श्री कृष्ण का वास है। यह धार्मिक नगरी का हर मंदिर और हर घर, भगवान श्री कृष्ण की महिमा का गुणगान करता है।ऐसा ही प्राचीन मंदिर है श्री राधा-दामोदर मंदिर। यह मंदिर वृंदावन के सबसे अद्भुत आश्चर्यों से भरा प्राचीन मंदिर है। वृंदावन के सप्त देवालय में से एक श्री राधा दामोदर मंदिर भगवान कृष्ण और राधा की साक्षात लीलाओं का गवाह है। मंदिर की स्थापना के समय से यहां बड़े संत जैसे रूप गोस्वामी, जीव गोस्वामी तथा कृष्णदास कविराज गोस्वामी कुटी एवं इस्कान के संस्थापक श्रीभक्तिवेदांत प्रभुपादजी ने अपनी तपस्या यहां की है। स्वयं श्री कृष्ण की प्रेरणा से यहां गिरीराज चरण शिला स्थापित है। यहां स्थित इस प्रतिमा की ऊर्जा इतनी जागृत है कि इनके दर्शन मात्र से ही भक्तों की सर्व मनोकामना पूरी हो जाती है।
प्राचीन राधा कृष्ण मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा के निकट देवधाम - मथुरा के कण-कण में श्री कृष्ण का वास है। यहां भगवान के प्रत्येक मंदिर भगवान कृष्ण के चमत्कारों की कहानी कहते हैं। कृष्ण जन्मभूमि के निकट, मथुरा में ऐसा ही प्राचीन मंदिर है, प्राचीन राधा कृष्ण मंदिर। यह मंदिर मथुरा के सबसे अद्भुत आश्चर्यों से भरा प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान कृष्ण और राधा की साक्षात लीलाओं का गवाह है। यह मंदिर इतना ऊर्जावान है कि इस मंदिर के स्मरण मात्र से ही राधा कृष्ण अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। यहाँ श्री कृष्णा ने अपना बचपन बिताया था। कहते हैं, श्री कृष्ण के जन्म के बाद माँ यशोदा यहाँ उन्हें यहाँ लाकर ईश्वर की महिमा का गुणगान सुनाया करती थी। इसलिए श्रीकृष्ण के बाल स्वरुप की पूजा का यहाँ विशेष महत्व माना जाता है। इनकी पूजा से जीवन में प्रेम, आनंद, लाभ, संतान, सुख, बरकत, उन्नति और भक्ति प्राप्त होती है।
इस्कॉन और देवधाम - इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन), जिसे विश्वभर में हरे कृष्णा आंदोलन के रूप में भी जाना जाता है, में पाँच सौ प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र, मंदिर और ग्रामीण समुदाय, सामुदायिक परियोजनायें और लाखों सदस्य शामिल हैं। इस्कॉन मंदिरों में भगवान कृष्ण की विशेष पूजा की जाने का विधान है। दरअसल, इस्कॉन के संस्थापक प्रभुपाद का कहना है कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु का अवतार हैं, वे धर्म की रक्षा के लिए आए थे और उन्होंने अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा किया है। इसलिए आज के युग में श्री कृष्ण भक्तों की रक्षा के लिए, आत्मविश्वास बढ़ाने और धन धान्य से भक्तों को परिपूर्ण रखने के लिए कृष्ण अभिषेक और यज्ञ की विशेष आवश्यकता है।
गोवर्धन पर्वत, मथुरा और देवधाम - मथुरा में गोवर्धन तीर्थ का कण कण भगवान कृष्ण की महिमा का गुणगान करता है। शास्त्रों के अनुसार गोवर्धन तीर्थ में गोवर्धन पर्वत ब्रजवासियों, गौ माता एवं सभी पशुओं के जीवन यापन के लिए फल, फूल और अन्न प्रदान करता था। इसलिए ब्रजवासी इंद्रदेव के स्थान कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। इससे क्रोधित इंद्रदेव ने बृजनगरी में भयंकर वर्षा की जिससे पूरी नगरी डूबने लगी। ऐसे में भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव का अंहकार दूर करने और सभी ब्रजवासियों की रक्षा करने हेतु सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को उठाकर भयंकर वर्षा से सभी बृजवासियों की भूमि भवन और संपत्ति को रक्षा की थी। सभी ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली। इसके बाद इंद्रदेव को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने श्री कृष्ण से क्षमा याचना की। इसके बाद इस तीर्थ नगरी में भगवान कृष्ण राधा की पूजा के साथ गोवर्धन पर्वत की पूजा की भी प्रथा बन गई।
रूप बिहारी मंदिर, बरसाना और देवधाम - बरसाना भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं और श्री राधा के जन्मस्थान के लिए प्रसिद्ध है। इसके चारों ओर अनेक प्राचीन व पौराणिक स्थल हैं। यहां स्थित जिन चार पहाड़ों पर राधा रानी का भानुगढ़, दान गढ़, विलासगढ़ व मानगढ़ हैं, वे ब्रह्मा के चार मुख माने गए हैं। इसी तरह यहां के चारों ओर सुनहरा की जो पहाड़ियां हैं उनके आगे पर्वत शिखर राधा रानी की अष्टसखी रंग देवी, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चंपकलता, चित्रा, तुंग विद्या व इंदुलेखा के निवास स्थान हैं। कहा जाता है कि बरसाने की गोपियां जब इसमें से गुजर कर दूध-दही बेचने जाती थीं तो कृष्ण व उनके ग्वाला-बाल सखा छिपकर उनकी मटकी फोड़ देते थे और दूध-दही लूट लेते थे। इस प्राचीन और धार्मिक नगरी में ही स्थित है श्री रूप बिहारी मंदिर। माना जाता है इस मंदिर स्थान पर ही श्री कृष्ण राधा जी से मिलने आया करते थे। श्री कृष्ण और राधा जी के अटूट प्रेम के कारण इस स्थान की ऊर्जा इतनी अधिक शक्तिशाली है कि प्रेम प्राप्ति के लिए जो भी भक्त इस मंदिर या स्थान पर राधा कृष्ण की पूजा में भाग लेता है। तो उसे अपना प्रेम अवश्य मिलता है और जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
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