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Uttarakhand
शक्तिपीठ श्री वाराही देवी मंदिर
Thu 31st July 2025
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भगवान विष्णु के तीसरे महावतार भगवान वाराह हैं और माता वाराही इनकी महाऊर्जा। क्योंकि दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को रसातल में छिपा दिया था तब भगवान विष्णु ने वाराह अवतार लेकर पृथ्वी को बचाया। यह पृथ्वी या भूमि माता वाराही का ही स्वरूप थी और इन्ही की ऊर्जा से भगवान वाराह की ऊर्जा दोगुनी हो गई और भगवान वाराह ने हिरण्याक्ष का नाश कर मानव जाति को बचाया। माता वाराही को सप्त मातृका में स्थान मिला है। मां वाराही को मां त्रिपुरासुंदरी की सेनापति और लक्ष्मी का स्वरूप भी माना गया है। भारत में माता वाराही के बहुत ही कम प्रसिद्ध मंदिर है। उनमें से उत्तराखंड में देवीधुरा का श्री वाराही मंदिर शक्तिपीठ है जहां मां सती के दांत गिरे थे। कहते हैं यहां पर माता की मूर्ति में इतनी ऊर्जा है कि कोई व्यक्ति सीधी आंखों से मां के दर्शन नहीं कर पाता है, इसलिए मां की मूर्ति को कांच और तांबे की पेटी में रखा जाता है, जहां से भक्त उनके दर्शन कर पाते हैं। इस मंदिर में मां वाराही के साथ भगवान वाराह की पूजा भी की जाती है। साथ ही देवभूमि उत्तराखंड में भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की महिमा का विशेष वर्णन होने के कारण देवभूमि में भगवान विष्णु के किसी भी अवतार की पूजा करना अत्यंत फलदाई माना जाता है।
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