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मां प्रत्यंगिरा देवी मंदिर, उज्जैन
Fri 1st August 2025
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शास्त्रों के अनुसार हिरण्यकश्यप का वध करने के पश्चात भगवान नरसिंह ने अपना क्रोध शांत करने के लिए उज्जैन में शिप्रा नदी में स्नान किया। स्नान के बाद भी उनके क्रोध शांत ना होने और अनियंत्रित होने पर भगवान शिव ने शरभ का रूप धारण कर नरसिंह को रोकने की कोशिश की। लेकिन दोनों ही लंबे समय तक बिना किसी परिणाम के साथ लड़ते रहे। तब सभी देवताओं के आग्रह पर मां दुर्गा ने देवी प्रत्यंगिरा का रूप धारण किया और अपने तीव्र स्वरूप और प्रचण्ड हुंकार से दोनों को स्तब्ध कर दिया। जिससे उन दोनों के बीच का भीषण युद्ध समाप्त हो गया और सृष्टि से प्रलय का संकट टल गया। माना जाता है, तभी से मां प्रत्यंगिरा उज्जैन में हमेशा के लिए विराजमान हो गई और आज तक अपने भक्तों की रक्षा के लिए दुष्टों और शत्रुओं का नाश करती आई हैं।
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